Star Khabre; Faridabad;6th August: सीजेएम कम सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सुकिर्ती गोयल ने बताया कि अदालत में लंबित मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आगामी 13 अगस्त को जिला फरीदाबाद में 15 जजों की अदालतों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। इसमें 15 जजों की अदालतों में 138 एनआई एक्ट के लिए एक अदालत, ट्रैफिक चालान व सिविल क्रिमिनल केसों के लिए 7 अदालतों, समरी केसों के लिए दो अदालतों, लेबर कोर्ट केसों के लिए एक अदालत, फैमिली मैटर के लिए एक, सिविल इलेक्ट्रिकल केसों के लिए दो, मोटर एक्सीडेंट क्लेम केसों की सुनवाई के लिए एक, परमानेंट लोक अदालत एक और एमसीएफ लेबर कोर्ट केसों के लिए एक राष्ट्रीय लोक अदालत लगाई जाएगी। राष्ट्रीय लोक अदालतों में केसों का निपटान आपसी सहमति से करवाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि वादी अदालत में समझौते के लिए स्वयं या अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपने केसों का निस्तारण करवा सकते हैं। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की सचिव सुकिर्ती गोयल ने बताया कि न्यायालय मंव लंबित मामलों को परस्पर सहयोग व सौहार्दपूर्ण माध्यम से निपटाने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से 13 अगस्त को जिला में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति का कोई प्रकरण न्यायालय में लंबित है, तो वह लोक अदालत के माध्यम से उसका निस्तारण करा सकता है। लोक अदालत में दोनों पक्षों की आपसी सहमति व राजीनामे से सौहार्दपूर्ण वातावरण में पक्षकारों की रजामंदी से विवाद निपटाया जाता है। इससे शीघ्र व सुलभ न्याय, कोई अपील नहीं, अंतिम रूप से निपटारा, समय की बचत और धन लाभ मिलते हैं।राष्ट्रीय लोक अदालत में बैंक लोन से संबंधित मामले, मोटर एक्सीडेंट, एनआई एक्ट, फौजदारी, रेवेन्यू, वैवाहिक विवाद का निपटारा किया जाएगा। श्रीमती सुकिर्ती ने बताया कि आपसी सहमति से हल हो सकने वाले मामलों में लोक अदालत बहुत ही कारगर सिद्ध हो रही हैं और लोक अदालत में सुनाए गए फैसले की भी उतनी ही अहमियत है जितनी सामान्य अदालत में सुनाए गए फैसले की होती है। उन्होंने यह भी बताया कि लोक अदालत में सुनाए गए फैसले के खिलाफ अपील दायर नहीं की जा सकती। लोक अदालत में सस्ता और सुलभ न्याय मिलता है। इससे लोगों के धन और समय की बचत होती है। राष्ट्रीय लोक अदालतो के माध्यम से लोगों का बिना समय व पैसा गवाएं केसों का समाधान किया जाता है। राष्ट्रीय लोक अदालतों में ना तो किसी पक्ष की हार होती है और ना ही जीत। बल्कि दोनों पक्षों की आपसी सहमति से विवादों का समाधान/समझौता करवाया जाता है।