Star Khabre, Faridabad; 05th July : नगर निगम अधिकारियों पर एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने निगम विज्ञापन घोटाले का आरोप लगाया है। आरोप लगाया है कि निगम विज्ञापन के नाम पर दलाल अधिकारियों से सांठ-गांठ कर करोड़ो रुपए का घोटाला कर रहे हैं लेकिन जब इस मामले को गहराई से जानने की कोशिश की गई तो मामला कुछ और ही सामने आया। यदि तथ्यों की बात करें तो इसमें निगम की तकनीकी मजबूरी अधिकारियों से आड़े आ रही है। इसके साथ ही निगम ने अवैध होर्डिंग लगाने वालों से 25 लाख रुपए का जुर्माना भी वसूला है।
नियमों में हुआ बदलाव
नगर निगम में पिछले कई सालों से विज्ञापन का ठेका मैसर्स लाल एंड कंपनी के पास था। सूत्रों के अनुसार नगर निगम अधिकारियों ने मैसर्स लाल एंड कंपनी से जो करार किया था, उसमें कहीं न कहीं कम आय आंकी गई थी। इसकी सूचना निगम अधिकारियों ने तत्कालीन कमिश्रर मोहम्मद शाईन को दी। इस पर मोहम्मद शाईन ने इस कंपनी का ठेका रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। प्रक्रिया शुरू होते ही मैसर्स लाल एंड कंपनी ने न्यायालय की शरण ले ली। इस पर उसे तीन माह एक्सटेंशन मिल गई। अंतत: उसका करार रद्द हो गया। इसी बीच पूरे हरियाणा के लिए सरकार द्वारा एक पालिसी बनाई गई। इसके अंतर्गत कई नियमों में बदलाव किया गया जैसे गेट एंट्री की लंबाई-चौड़ाई, यूनिपोल की स्थिति से संबंधित कई दिशा निर्देश थे। ऐसे में निगम द्वारा टेंडर कर पाना मुश्किल हो गया। इसका हल निकालने के लिए निगम ने बकायदा जुलाई 2018 को एक बाहरी सर्वे एजेंसी डीआईएमटीएस को नियुक्ति किया और उसे इन नियमों के सहित कैसे विज्ञापन प्रक्रिया को लागू किया गया और टेंडर किया गया इस बावत एक विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा गया।
लगभग उक्त कंपनी ने पूरा सर्वे करने और कहां-कहां यूनिपोल लगने हैं, इसकी विस्तृत रिपोर्ट चार महीने में पेश की। इसके लिए निगम को बकायदा 50 लाख रुपए का भुगतान करना था। हालांकि सूत्रो के अनुसार निगम ने अभी तक डीआईएमटीएस को कोई भुगतान नहीं किया है। उक्त कंपनी की रिपोर्ट को माना जाए तो सरकारी आदेशों की पालना करते हुए या यूं कह लो विज्ञापन पालिसी के अंतर्गत 13 विज्ञापन क्षेत्र बल्लभगढ़, 110 एनआईटी तथा 92 जगह चिन्हित की गई।
पहले ही किए गए टेंडर
डीआईएमटीएस कंपनी की रिपोर्ट आने के बाद निगम ने बकायदा पूरे हरियाणा में पहली बार ई-ऑक्शन प्रक्रिया को अपनाया और तीनों जोन के लिए नवंबर 2018 में टेंडर जारी कर दिए गए। इसमें बल्लभगढ़ जोन का टेंडर ग्लोबल कंपनी की बिट सबसे ज्यादा थी। इसी तरह एनआईटी और ओल्ड जोन की बिट मैजिक मीडिया नाम की कंपनी ने जीत ली। ग्लोबल कंपनी ने तो अपना कार्य बल्लभगढ़ जोन में शुरू कर दिया लेकिन मैजिक मीडिया ने बिट जीतने के बाद भी अपनी अलग से शर्ते जोडऩी चाही। इस पर नगर निगम और मैजिक मीडिया का करार सिरे नहीं चढ़ा। इस पर निगम द्वारा मैजिक मीडिया कंपनी को कई बार नोटिस दिया गया लेकिन उक्त कंपनी ने न तो करार पूरी तरह से रद्द किया और न ही काम करना शुरू किया। इसके एवज में निगम ने उसके द्वारा जमा की गई अग्रिम राशि आठ लाख रुपए जपत कर ली। मार्च 2019 आते-आते निगम ने उसे कई बार पत्राचार किया, जिसे उसे सुनवाई का मौका दिया। निगम ने स्पष्ट तौर पर अपने नोटिस में कहा कि आपके द्वारा जमा की गई अग्रिम राशि जपत की जाती है। यदि आपने कार्य शुरू नहीं किया तो निगम आपको ब्लैकलिस्ट कर सकता है और आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की प्रक्रिया भी चला सकता है।
16 जुलाई को हाईकोर्ट में सुनवाई
नगर निगम द्वारा लिखित पत्र प्राप्त होने के बाद कुछ दिनों तक मैजिक मीडिया कंपनी का कोई जबाव निगम में नहीं आया। इसके बाद 10 मार्च 2019 से लेकर 23 मई 2019 तक पूरे देश में आचार संहिता लग गई। इसके चलते निगम ने तो कोई टेंडर जारी कर सकता था और न ही कोई कार्रवाई कर सकता था लेकिन इसी बीच मैजिक मीडिया कंपनी ने अदालत का सहारा लिया और बकायदा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर दी। इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी सख्त कदम उठाने के लिए आगामी 16 जुलाई तक रोक लगा दी। न्यायालय के आदेशों के बाद डीए ब्रांच ने निगम कमिश्रर के समक्ष स्थिति को स्पष्ट करते हुए बताया कि निगम इस मामले में मैजिक मीडिया पर कोई कानूनी कार्रवाई तो नहीं कर सकता लेकिन टेंडर जारी कर सकता है। डीए ब्रांच ने अपनी यह रिपोर्ट निगम कमिश्रर को सौंप दी जिसके चलते निगम कमिश्रर ने टेंडर जारी करने की प्रक्रिया को अमल में लाने के आदेश जारी कर दिए।
529 नोटिस, 212 एफआईआर, 25 लाख 62 हजार वसूले
आंकड़ों की बात करें तो एक मई 2018 से 1 जुलाई 2019 तक निगम ने लगभग अवैध होर्डिंग लगाने वाले 529 लोगों को नोटिस जारी किए हैं। जबकि 212 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही अवैध होर्डिंग लगाने वालों से 25 लाख 62 हजार 292 रुपए बतौर जुर्माना वसूला गया है।
निगम की तकनीकी मजबूरी
आरटीआई एक्टिविस्ट वरूण श्योकंद द्वारा लगाए गए आरोप तथ्यों की कसौटी पर सही नहीं उतर रहे लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन अवैध होर्डिंग लगाने वाले कहीं न कहीं निगम के कुछ अधिकारियों से सांठ-गांठ किए हुए हैं। पूरे मामले के तथ्यों को यदि गौर से देखा जाए तो कहीं न कहीं तकनीकी मजबूरी निगम के आड़े आ रही है। सरकार द्वारा बनाई गई विज्ञापन पालिसी प्रक्रिया के अनुसार नई जगहो को चिन्हित करना, पुरानी गेट एंट्री के आकार को कम करना, अपने आप में चुनौती भरा काम है क्योंकि हाल-फिलहाल गेट एंट्री की ऊंचाई की बात करें तो उसकी ऊंचाई 6 से 7 फुट है, जबकि सरकारी मानक केवल 3 फुट को ही मान्यता दे रहे हैं। ऐसे में मौजूदा सभी यूनिपोल हटाने और गेट एंट्री को छोटा करना, अपने आप में एक चुनौती भरा कार्य है। सरकार की पालिसी के अनुरूप कार्य करना और न्यायालय के आदेश निगम के लिए तकनीकी मजबूरी बने हुए हैं।