Shikha Raghav, Faridabad; 25th April : मनोहरलाल खट्टर की सरकार ने हाल ही में लीज़ की दुकानों को फ्री होल्ड करने का दुकानदारों को सुनहरा सपना दिखाया है। अब यह कितना जायज़ है और कितना नाजायज़, यह वक्त ही बताएगा।
गौरतलब है कि प्रदेश से जाती हुई हुड्डा सरकार ने 11 अक्टूबर 2013 में फरीदाबाद जिले की 1050 दुकानों को फ्री होल्ड करने की एक अधिसूचना जारी की थी जिसके तहत मेन मार्केट नंबर-1 में 193 दुकानें, तिकोना पार्क में 165 दुकानें, धोबी घाट की 21 दुकानें, 2सी जनता कालोनी में 17 दुकानें, 2एच मार्केट में 157 दुकानें, 3जी मार्केट में 113 दुकानें, एनएच5 बाजार में 174 दुकानें, न्यू जनता कालोनी में 9 दुकानों के साथ-साथ बल्लभगढ़ के नाहर सिंह मार्केट में 24 दुकानें, लाईबे्ररी मार्केट में 45 दुकानें, ओल्ड डिस्पेंसरी मार्केट में 69 दुकानें और संजय मार्केट ओल्ड फरीदाबाद में 63 दुकानें आती हैं।
उसी समय हाल के निगरानी समिति के प्रमुख व उस समय के एंटी करप्शन के प्रदेशाध्यक्ष आनंद कांत भाटिया ने निगमायुक्त को पत्र लिखते हुए कहा था कि पट्टे की उन दुकानों को फ्री होल्ड में तब्दील करना उचित नहीं होगा जिन्होंने पट्टे के नियमों व शर्तों का उल्लंघन किया है। इसके साथ ही एक अन्य समाजसेवी ने भी इस मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें अदालत द्वारा आदेश दिए गए थे कि लीज़ प्रापर्टी को कदापि फ्री होल्ड नहीं किया जा सकता। अपने आदेशों को 15 दिन के अंदर वापिस नहीं लिया तो अदालत के आदेशों की अवहेलना के मामले में अवमानना याचिका दायर कर दी जाएगी। इन आदेशों को एक समाचार पत्र ने प्रमुखता से प्रकाशित भी किया था।
अभी हाल ही में निगमायुक्त द्वारा दुकानों को फ्री होल्ड करने के आदेश जारी हुए हैं। इसमें निगमायुक्त ने दुकानों को फ्री होल्ड करने की समय सीमा भी तय कर दी है। इसके अनुसार जुलाई अंत तक सभी दुकानो को फ्री होल्ड किया जाना है। आदेश जारी होने के बाद एक बार फिर निगरानी समिति के प्रमुख आनंद कांत भाटिया ने निगमायुक्त को पत्र लिखकर कहा है कि दुकानों को फ्री होल्ड करने से पहले लीज़ की दुकानों को नियमानुसार उनके प्रारूप में लाना उचित रहेगा। ताकि बाजारों की व्यवस्था सुधारी जा सके ताकि ग्राहकों को कोई परेशानी न हो।
लीज़ की दुकानों की नियम व शर्तों और जनभावनाओं को देखा जाए तो इसमें बहुत सारे प्रश्र खड़े होते हैं।
प्रश्र नंबर-1 : नियम व शर्तो के अनुसार लीज़ की दुकानों का प्रारूप बदला ही नहीं जा सकता था। इसके बावजूद लगभग सभी दुकानदारों ने दुकानों का प्रारूप (बेसमेंट, प्रथम व द्वितीय तल बनाकर) पूरी तरह से बदल दिया है।
प्रश्र नंबर-2 : लीज़ की दुकानों के बाहर ग्राहकों को चलने के लिए दिए गए बरामदों की जगह को भी घेरते हुए अवैध कब्जा कर अपनी दुकानें बढ़ा ली हैं।
प्रश्र नंबर-3 : बरामदों को कब्जाने के बाद भी दुकानदारों ने अपनी दुकानों के आगे 300 रुपए से लेकर 1500 रुपए रोजाना किराए पर फड़ वालों को जगह दे रखी है। इसके कारण सारी व्यवस्था (वाहन पार्किंग, ग्राहक का चलना, दुकानों के सामान की ढुलाई इत्यादि) सडक़ पर आ गई है। इसके चलते शहर के प्रमुख बाजार, बाजार न रहकर हॉट (मछली बाजार) बनकर रह गए हैं।
प्रश्र नंबर-4 : नियम व शर्तो के अनुसार यदि कोई दुकानदार लीज़ के नियमों का उल्लंघन करता है तो निगम को पूरा अधिकार है कि वह उन दुकानों को रिवोक कर सकता है। तो क्यू नहीं नगर निगम ने आज तक ऐसी दुकानों को अपने कब्जे में वापिस लिया?
प्रश्र नंबर-5 : नगर निगम के पूर्व निगमायुक्तों द्वारा हाईकोर्ट में जो इस मामले में हलफनामा दिया जा चुका है, क्या अधिकारियों द्वारा यह निगमायुक्त के संज्ञान में लाया गया है?
बाजार में खरीददारी करने आए संजीव कुमार, राकेश सिंह, दीपक यादव, दीपक चौरसिया, अनीता शर्मा, प्रीतम लाल, बोधराज सहित अन्य लोगों का इस विषय पर माना है कि दुकानों को फ्री होल्ड करना बहुत अच्छी बात है लेकिन यह एक सुनहरा अवसर है कि बाजारों की बिगड़ी व्यवस्था को सुधारा जा सके। फ्री होल्ड करने के नाम पर इन दुकानों से कब्जाए गए बरामदे की जगह खाली करवाना, दुकानों के आगे फड़ विके्रताओं को हटवाना और पार्किंग की समूची व्यवस्था के साथ-साथ हुए अवैध निर्माणों को भी दुरूस्त कराया जा सकता है।