Shikha Raghav (Star Khabre), Faridabad; 05th July : नगर निगम का एक और घोटाला उजागर हुआ है। नगर निगम द्वारा फर्जी जीपीए से अपनी ही एक कर्मचारी को प्लॉट आबंटन करने का मामला प्रकाश में आया है। मध्यप्रदेश के जिला सागर के उपपंजीयक कार्यालय ने उक्त जीपीए को फर्जी बताया है। आरटीआई एक्टिविस्ट वरूण श्योकंद ने इस मामले में पुलिस आयुक्त और नगर निगम आयुक्त से जांच करने की अपील की है।
आरटीआई एक्टिविस्ट वरूण श्योकंद ने बताया कि वर्ष 2012-13 में ओल्ड फरीदाबाद स्थित बसेलवा कालोनी डेयरी स्कीम फेज-2 के तहत प्लाट नंबर 113 का आबंटन जिस जीपीए से किया गया था, वह जीपीए फर्जी निकली है। उन्होंने पुलिस व नगर निगम में दी अपनी लिखित शिकायत में सीधे तौर पर इसका आरोप उस समय वहां पदस्थ संयुक्त आयुक्त सतीश पराशर एसटीपी पर लगाया है। उन्होंने शिकायत में लिखा है कि सतीश पराशर एसटीपी ने यह फर्जी वाडा 2012-13 में रचा गया जिन्होंने इस स्कीम में लगभग 75 डेयरी प्लॉट केवल 600 रुपए के रेटों पर अलॉट करने की पूरी तैयारी की थी। इतना ही नहीं कुछ प्लॉट तो इस रेट पर अलॉट भी कर दिए गए थे। इसमें एक प्लॉट नंबर-113 जोकि आवेदन हितेन्द्र पुत्र बलजीत सिंह ने वर्ष 2008 में सुनीता डागर के नाम पर जीपीए के आधार पर अलॉट कर दिया। इसके बाद इसी जीपीए के आधार पर यह प्लॉट सुनीता डागर जोकि नगर निगम में एक कर्मचारी थी, उसी के नाम पर ट्रांसफर कर दिया। मामले की जब गहराई से जांच की गई तो एक नया तथ्य सामने आया है कि उक्त प्लॉट को अलॉट करने व ट्रांसफर करने हेतू जिस जीपीए का इस्तेमाल किया गया, वह फर्जी निकली। इस बारे में सब रजिस्ट्रार देवरी, जिला सागर मध्यप्रदेश, जहां यह जीपीए रिजस्टर्ड दिखाई गई है ने प्रमाण पत्र में यह प्रमाणित किया है कि उक्त जीपीए उनके कार्यालय में अभिलेख के अवलोकन पश्चात पंजीबद्ध होना नहीं पाया गया। वरूण श्योकंद ने बताया कि यह फर्जीवाडा एक महिला कर्मचारी सुनीता डागर को लाभ पहुंचाने के लिए सतीश पराशर एसटीपी द्वारा 2012-13 में संयुक्त आयुक्त के पद पर रहते हुए रचा गया। वरूण श्योकंद ने पुलिस को शिकायत में कहा कि इस प्रकार का यह एक अकेला मामला नहीं हो सकता। इस मामले में बड़ी साजिश की बू आती है। इस मामले की जांच की जाए और सतीश पराशर एसटीपी पर धोखाधडी का मामला दर्ज किया जाए।