Shikha Raghav, Faridabad; 21st April : ना खुदा ही मिला, न बिसाले “विपुल” नामक शीर्षक से हमने एक खबर प्रकाशित की थी जिसमें हमने आपको बताए था कि विधायक द्वारा लगाए गए लगभग दो लाख पौधों में से अधिकतर पौधे या तो अपनी आखरी सांसे गिन रहे हैं या फिर दम तोड़ चुके हैं। विधायक उन पौधों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे।
इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए आज हम आपको उस सडक़ के बारे में बताएंगे, जहां से शहर के तमाम प्रशासनिक अधिकारी, वकील, न्यायाधीश, पुलिस अधिकारी रोज गुजरते हैं लेकिन उसके बावजूद उन्हें वह सूखते पौधे नजर नहीं आ रहे जो लगाए तो बड़े चाव से गए थे लेकिन आज वह पौधे अपने मरने की दास्तान वहां से गुजरने वाले हर शख्स को बयां कर रहे हैं।
दो दिन पहले स्टार खबरें में प्रकाशित ना खुदा ही मिला, ना बिसाले “विपुल” नामक शीर्षक खबर पर हमें सैकड़ो लोगों ने अपने विचार भेजे जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने इस कार्यक्रम में पौधे लगाने में बढ़चढ़ कर भाग लिया था लेकिन आज उन्हीं पौधों को मरता देख उनका मन दुखी होता है। एक पाठक ने हमें संदेश के माध्यम से बताया कि उन्होंने सेक्टर-11 के एक पार्क में 30 पौधे इसी कार्यक्रम के तहत लगाए थे लेकिन आज वह देखरेख की अभाव में मर रहे हैं। हालांकि इस बारे में विधायक कार्यालय में सूचित भी किया गया है लेकिन उसके बावजूद कोई इस पर ध्यान नहीं दे रहे और आज 30 में से 3 पौधे भी जिंदा नहीं है। इसके अलावा सैंकड़ों लोगों ने हमें और भी कई जगह बताई, जहां पौधे तो लगए गए लेकिन उनकी देखरेख नहीं की गई।
पौधों की जानकारी रखने वाले जानकारों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में पौधे लगाए गए तो क्या विधायक जी ने इस ओर नहीं सोचा कि इन पौधों की देखरेख करने के लिए क्या विभाग में इतने माली हैं? और यदि माली हैं तो इन पौधों की देखरेख के लिए उन्हें जिम्मेवारी क्यों नहीं सौंपी गई। इसके अलावा यदि माली इतनी संख्या में नहीं हैं जो विभाग के कार्यों के साथ-साथ इन पौधों की भी देखरेख कर सके तो क्या फिर इन पौधों को लगाने से पहले यह सोचने का फर्ज नहीं था कि इनकी देखरेख का जिम्मा किसी को दिया जाए।
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