Star Khabre, Faridabad; 27th October : श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर मामले में सट्टा किंग राजेश भाटिया के एक और घोटाले का खुलासा हुआ है। राजेश भाटिया ने मंदिर की जगह में दुकानें बनाकर बिना किसी इजाजत के मोटी पगड़ी लेकर किराये पर दे दिया है। जोकि कानूनन गलत है। इतना ही नहीं दुकानदारों से किराये के नाम पर प्रतिमाह मोटी रकम भी ली जा रही है। दुकानदारों का कहना है कि दुकान किराये पर लेने के लिए राजेश भाटिया ने उनके साथ लिखित में पांच साल का एग्रीमेंट भी किया है।
ध्यान हो कि सट्टा किंग राजेश भाटिया अपने आप को पिछले काफी समय से श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर का प्रधान बता रहे थे जिसे लेकर कोर्ट में पिछले काफी समय से केस भी चल रहा था लेकिन हाल ही में राजेश भाटिया मेन रजिस्ट्रार कार्यालय चंडीगढ़ में केस की सुनवाई के दौरान अपने आप को प्रधान तो दूर मंदिर का सदस्य भी साबित नहीं कर पाए। इस मामले पर कार्यवाही करते हुए रजिस्ट्रार ने मंदिर पर एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त कर दिया। अब मंदिर में एडमिनिस्ट्रेटर गौरव आंतिल नियुक्त हैं।
अब मामला यह है कि राजेश भाटिया ने एक और घोटाला करते हुए मंदिर की दुकानों को मोटी पगड़ी लेकर किराये पर दिया हुआ है। दुकानदारों की माने तो दुकानदारों के साथ राजेश भाटिया ने पांच साल का लिखित एग्रीमेंट भी किया हुआ है। सूत्र बताते हैं कि मोटी पगडी के नाम पर दुकानदारों से लाखों रुपए की रकम उठाई गई है। जबकि किराया भी 35000 रुपए प्रतिमाह बताया जा रहा है।
इन दुकानों को किराये पर दिए जाने से पहले श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर के प्रबंधन द्वारा यहां मुफ्त डिस्पेंसरी, मंदिर का बिजली घर और लोगों के लिए लाइबे्ररी की व्यवस्था हुआ करती थी। जनहित में किए जा रहे इन कार्यों को बंद कर अपने निजी स्वार्थ और पैसे की चाह में राजेश भाटिया ने यहां दुकानें बनवा दी। जून माह में तोडक़र यहां तीन दुकाने बनाने का काम शुरू कर दिया गया। इतना ही नहीं मंदिर गेट के बायी तरफ बने बड़े हॉल में मंदिर का कार्यालय हुआ करता था लेकिन उसे भी दो भागों में बांटकर दुकानों का रूप दे दिया गया है। कुल मिलाकर पांच दुकानों को राजेश भाटिया ने गैर कानूनी रूप से किराये पर दे दिया क्योंकि जो व्यक्ति मंदिर का सदस्य तक नहीं है, वह दुकाने किराये पर देने का फैसला कैसे कर सकता है। इसलिए यह कानूनन गलत है।
दुकानें बनता देख मंदिर के सदस्य सूरजभान ने जिला रजिस्ट्रार कार्यालय में इसकी शिकायत की और कार्रवाई की मांग की। शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए 10 जुलाई को जिला रजिस्ट्रार ने मंदिर प्रबंधन को एक नोटिस जारी किया, जिसमें उन्हें 7 दिन का नोटिस देकर तुरंत प्रभाव से कार्य रोकने और इस पर कार्यालय में जबाव देने का कहा गया लेकिन यहां भी राजेश भाटिया ने रजिस्ट्रार के आदेशों को दरकिनार कर नोटिस का जबाव तक नहीं दिया। इतना ही नहीं नोटिस जारी होने के बाद राजेश भाटिया ने अपने आप को कानून से भी ऊपर दिखाते हुए दुकानों को किराये पर दे दिया।
शिकायतकर्ता सूरजभान ने बताया कि मैं इस संस्था से पिछले 15 वर्षों से जुडा हुआ हूं। संस्था यहां पर जनहित कार्य करते हुए मुफ्त लाइबे्ररी और मुफ्त डेंटल क्लिीनिक चलाया करती थी। दोनों सामाजिक कार्यों को बंद होता देख मै काफी आहत हुआ। इसलिए मैने रजिस्ट्रार कार्यालय में इसकी शिकायत दी है। वहीं श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर की इन पांच दुकानों में से एक दुकान किराए पर लेने वाले बांगा ने बताया कि उन्हें दुकान किराए पर लिए करीब साढ़े पांच महीने हो चुके हैं। किराये पर दुकाने लेते समय उनका पांच साल का लिखित एग्रीमेंट हुआ हैं।
कुल मिलाकर कहा जाए तो राजेश भाटिया ने अपने निजी स्वार्थ में इस हद तक कानून को दरकिनार किया कि आज दुकानदारों को मन ही मन यह चिंता सताई हुई है कि यदि प्रशासक ने उन्हें मंदिर की दुकानों से हटा दिया तो उनकी मोटी पगडी का क्या होगा। वहीं राजेश भाटिया भी मंदिर से निकाले जाने पर दुखी नजर आ रहे हैं। अब सोचने वाली बात यह भी है कि मंदिर पर इतना बवाल क्यों हुआ, मंदिर के प्रधान पद में ऐसा कौन सा स्वार्थ छिपा हुआ है। यह समाजसेवा तो नहीं कही जा सकती। मंदिर किसी की कोई निजी संपति तो है नहीं यह तो भगवान का घर है। फिर भगवान के घर पर बवाल आखिर क्यों।