Star khabre, Faridabad; 12th April : सूरजकुंड रोड स्थित श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम, श्री सिद्धदाता आश्रम में श्री हनुमान जयंती का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने हनुमान जी की मूर्ति का अभिषेक किया और भक्तों को प्रवचन कहे।
इस अवसर पर स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य ने कहा कि हनुमान का नाम सेवकों में प्रथम आता है। भगवान श्री राम ने हनुमान जी के बारे में कहा कि रावण और बाली के संयुक्त बल से भी बढ़कर हनुमान के पास बाल है, लेकिन वह बहुत विनम्र हैं। वह अपने बल पर गर्व नहीं करते हैं और भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं। उन्होंने कहा कि धनबल, तप और शारीरिक बल सबको कमाना चाहिए लेकिन सभी को विनम्र भी रहना चाहिए। हनुमान एक ऐसे देव हैं जिनके मन और तन दोनों में श्रीराम निवास करते हैं।
स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य ने भक्तों से कहा कि वह निष्काम होकर सेवा करें। कामना के साथ की गई सेवा दुख देने वाली होती है। आपने सेवा के बदले कुछ मांगा तो सेवा का पुण्य समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि श्रीराम के रूप में भगवान ने अपनी लीलाएं कीं लेकिन जब-जब संकट के क्षण आए तब तब हनुमान को अवसर प्रदान किया। यह भगवान की अपने सेवक के प्रति कृपा है, करुणा है कि वह अपने सेवक को इतना ऊंचा स्थान दे देते हैं कि लोग भगवान से पहले सेवक की पूजा करने लगते हैं।
इससे पूर्व दिव्यधाम में हजारों की संख्या में पहुंचे भक्तों ने विशाल शोभायात्रा में भागीदारी की और उत्साहपूर्वक भोजन प्रसाद प्राप्त किया। वहीं सुमधुर भजनों पर नाचते झूमते भक्तों का भाव देखते ही बन रहा था।
सेवा का पर्याय हैं राम भक्त हनुमान – स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य

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