Star khabre, National; 4th November : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक का शव मिलने के 87 दिन बाद एक स्थानीय अदालत ने मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ सोमवार को आरोप तय किए। हालांकि, रॉय ने खुद को निर्दोश बताते हुए कहा कि उसे इस मामले में फंसाए जा रहा है। अदालत ने घोषणा की कि 11 नवंबर से रोजमर्रा के आधार पर मामले की सुनवाई की जाएगी। रॉय पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। जब रॉय को अदालत से बाहर ले जाया जा रहा था, तब उसने पहली बार कैमरे के सामने अपना बयान दर्ज कराया। उसने कहा, ‘‘मैंने कुछ नहीं किया है। मुझे इस बलात्कार-हत्याकांड में फंसाया गया है। मेरी कोई नहीं सुन रहा है। सरकार मुझे फंसा रही है और मुंह नहीं खोलने की धमकी दे रही है।” पिछले महीने पेश प्रारंभिक आरोपपत्र में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने रॉय को मामले में ‘एकमात्र मुख्य आरोपी’ बताया था। सीबीआई के आरोपपत्र में इस अपराध के पीछे एक ‘बड़ी साजिश’ की आशंका भी व्यक्त की गई है। सीबीआई के दावे के अनुसार, सीएफएसएल रिपोर्ट ने संजय रॉय की संलिप्तता की पुष्टि की है। रिपोर्ट में कई भौतिक और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर यह साबित होता है कि उसने ही वारदात को अंजाम दिया। कोलकाता पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए घटना के 24 घंटे के भीतर उसे गिरफ्तार कर लिया। यह जांच इस बात को दर्शाती है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने मामले को गंभीरता से लिया है और साक्ष्यों के आधार पर उचित कदम उठाए हैं।
सीबीआई द्वार दायर चार्जशीट में स्पष्ट किया गया है कि 9 अगस्त को क्राइम सीन से मिले बाल संजय रॉय के हैं, जो कोलकाता पुलिस के पहले के दावों का समर्थन करते हैं। सीबीआई ने मामले में करीब 100 गवाहों, पॉलीग्राफ टेस्ट, CCTV फुटेज, फोरेंसिक रिपोर्ट, और मोबाइल कॉल डिटेल्स के आधार पर अपनी चार्जशीट पेश की है। चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि ट्रेनी जूनियर डॉक्टर के साथ रेप हुआ, लेकिन यह गैंगरेप नहीं था। वारदात का अंजाम अकेले संजय रॉय ने ही दिया। सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि संजय सुबह 4 बजे सेमिनार हॉल के अंदर गया और आधे घंटे बाद बाहर आया। इसके अलावा, संजय का मोबाइल ईयरफोन और फोरेंसिक रिपोर्ट में मिले डीएनए साक्ष्य भी मामले को मजबूत करते हैं। रात के दौरान संजय ने शराब पी रखी थी और उसने जबरदस्ती करने की कोशिश की, जिससे डॉक्टर ने खुद को बचाने के लिए संघर्ष किया। इस संघर्ष के दौरान दोनों के बीच खरोंचें आईं, जो बाद में जांच में सामने आईं। कोर्ट में अब आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह मामला कानून और न्याय व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, और आगे की कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।
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