कांग्रेसी नेता विजय प्रताप और पूर्व कांग्रेसी नेता संदीप चपराना में टकराव की क्या है मुख्य वजह
Shikha Raghav (Star Khabre), Faridabad; 21st July : 27 करोड़ रुपए की अनंगपुर गांव स्थित त्यागी पाइप क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड की लगभग 1465 गज जमीन इस समय शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल हाल ही में 18 जुलाई को सूरजकुंड थाने में पुलिस ने एक बीजेपी नेता संदीप चपराना की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की है। चर्चा का विषय यह है कि हरियाणा के पूर्व कैबिनेट मंत्री के कभी सबसे करीबी कहे जाने वाले युवा नेता संदीप चपराना ने मंत्री के ही दो बेटों पर करोड़ो रुपए की जमीन साजिशन हड़पने का आरोप लगा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी है। एक ओर जहां संदीप विजय प्रताप, विवेक प्रताप सहित अन्य लोगों पर कई आरोप लगा रहे हैं, वहीं विजय प्रताप सभी आरोपों को सिरे से नकार रहे हैं।
18 जुलाई को सूरजकुंड थाने में पुलिस ने पूर्व हरियाणा मंत्री महेन्द्र प्रताप के दो बेटे विजय प्रताप, विवेक प्रताप, त्यागी पाइप क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर जितेन्द्र त्यागी, देवेन्द्र त्यागी, बिजेन्द्र उर्फ विजय, धमेन्द्र व हरविन्द्र भोला के खिलाफ करोड़ो रुपए की जमीन हड़पने की साजिश करने का मामला दर्ज किया है। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार त्यागी पाइप क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड की जमीन लगभग 1465 गज है। इस जमीन का उक्त लोगों ने संदीप के साथ 26 करोड़ 92 लाख रुपए में एग्रीमेंट किया। इसमें से संदीप ने त्यागी पाइप क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड को एक करोड़ रुपए का एचडीएफसी बैंक का चैक दे दिया। जबकि साढ़े आठ करोड़ रुपए विजय प्रताप के जरिए उन्हें नगद दिए। उक्त लोगों ने संदीप को बताया कि जिस जमीन का सौदा हुआ है, उस जमीन पर बैंक लोन है, जल्द ही क्लियर कराकर इसकी रजिस्ट्री करा दी जाएगी। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार संदीप के बार-बार रजिस्ट्री के लिए कहने पर भी उक्त लोग मामले को टालमटोल करते रहे लेकिन जब काफी समय बीत गया तो संदीप को पता चला कि अभी तक बैंक लोन क्लियर नहीं किया गया है और साथ ही उक्त जमीन का किसी और के साथ भी इन लोगों ने सौदा कर दिया है।
क्या आरोप लगा रहे हैं संदीप चपराना
संदीप ने बताया कि उनका यह सौदा विजय प्रताप ने कराया था। विजय प्रताप के जरिए उन्होंने इस जमीनी सौदे में साढ़े आठ करोड़ रुपए नगद दिए हैं। संदीप ने बताया कि उनसे पैसे लेने के बाद त्यागी पाइप क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टरों ने उक्त जमीन का एग्रीमेंट विजय प्रताप के मौसी के बेटे धमेन्द्र के साथ 32 करोड़ रुपए में कर दिया। विजय प्रताप, विवेक प्रताप सहित अन्य लोग उसके साथ जमीन हड़पने की साजिश रच रहे हैं।
अपने बेटों के बचाव में उतरे पूर्व कैबिनेट मंत्री महेन्द्र प्रताप
अपने बेटों के बचाव में चौ.महेन्द्र प्रताप सिंह ने वीरवार को आयोजित प्रैसवार्ता में कहा कि राजनैतिक षडय़ंत्र के तहत केन्द्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने उनके दो बेटों पर मुकद्मा दर्ज कराया है। जबकि मेरे बेटों का इस पूरे मामले से कोई लेना-देना है ही नहीं। उन्होंने कहा कि न तो जमीन हमारी है और न ही हम खरीददार हैं। चौ. महेन्द्र प्रताप ने कहा कि प्रैसवार्ता के दौरान जोर देते हुए कहा कि अधिकारियों ने उनसे स्वयं कहा है कि कृष्णपाल गुर्जर के दबाव के कारण यह मुकद्मा दर्ज हुआ है।
क्या कहते हैं कांग्रेसी नेता विजय प्रताप
विजय प्रताप का कहना है कि वर्ष 2013 में संदीप चपराना ने ही एक मीटिंग आयोजित कर मेरी मुलाकात त्यागी जी से करवाई थी। इस पर त्यागी जी ने मुझे इस जमीन को खरीदने की ऑफर दी परन्तु मैने मना कर दिया तो उन्होंने कहा कि संदीप चपराना इस जमीन को लेना चाहता है। संदीप चपराना उस समय हमारे सहयोगियों में थे, इस नाते मैने हामी भर दी परन्तु संदीप चपराना और जितेन्द्र त्यागी के बीच हुए एमओयू के नियमों का पालन संदीप चपराना ने नहीं किया। इस कारण यह डील कैंसिल हो गई। विजय प्रताप ने कहा कि त्यागी जी तो आज भी रजिस्ट्री करने को तैयार हैं। संदीप चपराना पैसे ले आए और रजिस्ट्री करा ले। त्यागी जी ने जो पुलिस आयुक्त कार्यालय में भी यह लिख कर दे दिया था कि वह रजिस्ट्री कराने के लिए तैयार है परन्तु संदीप चपराना बिना पूरी पैमेंट किए उस समय पर कब्जा जमाए बैठे हैं और जमीन को मात्र दिए गए साढ़े पांच करोड़ रुपए में हड़पना चाहते हैं।
शहर के बुद्धिजीवियों के बीच क्या है चर्चा
संदीप चपराना के पिता तेजपाल चपराना महेन्द्र प्रताप के ही सहयोगी माने जाते थे और इनके परिवार का गांव मेवला महाराजपुर में अच्छा रूतबा भी है। हालांकि इनके पिता वर्ष 2005 में हुए नगर निगम का चुनाव हार गए थे लेकिन उसी तर्ज पर महेन्द्र प्रताप की छत्रछाया में राजनीति में कदम रखने वाले संदीप चपराना ने कृष्णपाल गुर्जर के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले अजय बैंसला के खिलाफ वर्ष 2010 में चुनाव लड़ा था लेकिन संदीप चपराना भी अजय बैंसला को कड़ी टक्कर देने के बावजूद चुनाव हार गए।
चुनाव हारने के बाद भी संदीप चपराना चौ. महेन्द्र प्रताप के साथ जुड़े रहे और शहर में यह चौ. महेन्द्र प्रताप के चौथे पुत्र के नाम से मशहूर हो गए। हरियाणा में भाजपा सरकार बनने के लगभग एक वर्ष बाद संदीप चपराना ने चौ. महेन्द्र प्रताप का हाथ छोड़ केन्द्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर का दामन थाम लिया। बुद्धिजीवी वर्ग का तो यह भी कहना है कि चौ. महेन्द्र प्रताप के हाथ से सत्ता चली जाने की वजह से इन्होंने भाजपा के फूल को अपना सहारा बना लिया।
किसी जमाने में महेन्द्र प्रताप के चौथे बेटे के नाम से मशहूर संदीप चपराना ने जब वर्ष 2013 में यह डील की थी तब महेन्द्र प्रताप हरियाणा में कैबिनेट मंत्री थे। हालांकि चौ. महेन्द्र प्रताप आज इस बात से इंकार कर रहे हैं कि उन्हें इस डील के बारे में उस समय से अब तक कोई जानकारी नहीं थी लेकिन इस बात से नहीं नकारा जा सकता है कि इस डील की भनक महेन्द्र प्रताप को नहीं थी क्योंकि यह उन्हीं का विधानसभा क्षेत्र था और लगभग 27 करोड़ की डील कोई छोटी डील नहीं है।
संदीप चपराना ने जब जमीन पर कब्जा किया तो भी सरकार कांग्रेस की ही थी और चौ. महेन्द्र प्रताप हरियाणा में कैबिनेट मंत्री थे। तो ऐसा कैसे हो सकता है कि महेन्द्र प्रताप की शह के बिना उन्हीं की विधानसभा में कोई पांच एकड़ जमीन पर बिना किसी राजनैतिक शह के कब्जा कर ले। जबकि कब्जा करने वाला कोई और नहीं बल्कि शहर में महेन्द्र प्रताप के चौथे पुत्र के नाम से मशहूर संदीप चपराना ही थे।
वहीं संदीप चपराना आरोप लगाते हैं कि उन्होंने साढ़े करोड़ रुपए विजय प्रताप के मार्फत त्यागी जी को नगद दिए हैं। वहीं विजय प्रताप का कहना है कि साढ़े आठ करोड़ की रकम कोई छोटी रकम नहीं होती, क्या इतनी बड़ी रकम देते समय संदीप चपराना ने उनसे कोई रसीद नहीं ली या कहीं किसी कागज पर उनसे यह नहीं लिखवाया।
बुद्धिजीवियों में चर्चा का विषय यह भी है कि यदि विजय प्रताप के मुताबित त्यागी जी अभी भी रजिस्ट्री करने को तैयार हैं तो फिर संदीप चपराना अपने सौदे के हिसाब से पैमेंट करके रजिस्ट्री क्यों नहीं करा लेते। क्या वह केवल शुरूआती रकम देकर ही सारी जमीन हड़पना चाहते हैं।
कुल मिलाकर यदि सभी पक्षों और बुद्धिजीवियों की बातों पर गौर किया जाए तो एक ही बात निकल कर सामने आ रही है कि यह सब सत्ता का खेल है।