Shikha Raghav (Star Khabre), Faridabad; 14th October : बेशक दशहरा पर्व बीते दो दिन बीत चुके हैं लेकिन एनआईटी का दशहरा अभी भी लोगों की जुबान पर चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल एक पक्ष जहां केन्द्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर और मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा को उन्हें दशहरा न मनाने देने के लिए दोषी ठहरा रहा है, वहीं दूसरा पक्ष बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्र मना रहा है। इसके साथ इन दोनों पक्षों से हटकर अन्य लोगों की बात करें तो उनमें चर्चा का विषय मुख्य रूप से यह है कि इस दशहरे में कौन सच्चा है और कौन झूठा क्योंकि एक तरफ श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर के प्रधान राजेश भाटिया अपने निमंत्रण कार्ड में उद्योग मंत्री विपुल गोयल को अपना अति विशिष्ट अतिथि कहते हैं, वहीं दूसरी ओर उद्योग मंत्री विपुल गोयल इस बात से इंकार कर रहे हैं। विपुल गोयल का कहना है कि वह उनके दशहरे के कार्यक्रम में अतिथि नहीं थे और न ही वह एनआईटी दशहरे के कार्यक्रम में शामिल होने गए।
इसके अलावा राजेश भाटिया मीडिया को जारी किए गए एक बयान में यह भी बता रहे हैं कि उन्हें दशहरे की परमीशन लेने के लिए 20-25 दिन लगे, जबकि जोगेन्द्र चावला को परमीशन एक ही दिन में दे दी गई। इस पर जोगेन्द्र चावला का कहना है कि दशहरा मनाने की परमीशन लेने में उन्हें 17 दिन का समय लगा। उन्होंने परमीशन लेने के लिए जो पत्र उपायुक्त को भेजा व उपायुक्त द्वारा जारी परमीशन लेटर, वह दोनों भी दिखाए।
उद्योग मंत्री विपुल गोयल या राजेश भाटिया (कौन सच्चा, कौन झूठा)
राजेश भाटिया ने अपने दशहरे के कार्ड पर लंका दहन कार्यक्रम में ज्योति प्रचंड उद्योग मंत्री विपुल गोयल द्वारा व दशहरा कार्यक्रम व भरत मिलाप कार्यक्रम में उद्योग मंत्री विपुल गोयल को बतौर अति विशिष्ट अतिथि दर्शाया हुआ है। दशहरे से एक दिन पूर्व भी जब दशहरा मैदान में दशहरे के कार्यक्रम को लेकर प्रशासन राजेश भाटिया से बातचीत कर रहा था तो राजेश भाटिया ने प्रशासन को बताया कि उनके कार्यक्रम में मुख्यातिथि विपुल गोयल हैं। जबकि विपुल गोयल इस बात को सिरे से नकार रहे हैं। उद्योग मंत्री विपुल गोयल का कहना है कि वह सिर्फ लंका दहन के कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि गए थे लेकिन दशहरे व भरत मिलाप के कार्यक्रम में वह मुख्यातिथि या विशिष्ट अतिथि नहीं थे। वहीं राजेश भाटिया ने प्रैस कांफे्रंस के माध्यम से मीडिय़ा को बताया कि प्रशासन केन्द्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर और मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा के इशारों पर चल रहा है और उद्योग मंत्री विपुल गोयल की प्रशासन नहीं सुन रहा। उन्होंने मीडिया को बताया कि उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन से बात की है लेकिन वह उनकी सुन नहीं रहे। इस पर उद्योग मंत्री विपुल गोयल का कहना है कि उन्होंने राजेश भाटिया के समर्थन में प्रशासन को कोई फोन नहीं किया। हां लेकिन प्रशासन को इतना जरूर कहा है कि दशहरा कार्यक्रम जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सौहार्दपूर्ण वातावरण में होना चाहिए।
जोगेन्द्र चावला व राजेश भाटिया (कौन सच्चा, कौन झूठा)
श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर के प्रधान राजेश भाटिया का आरोप है कि प्रशासन ने दशहरा मनाने की परमीशन उन्हें 20 से 25 दिन के प्रोसेस के बाद दी लेकिन फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन के प्रधान जोगेन्द्र चावला को यही परमीशन मात्र एक दिन के समय में दी। राजेश भाटिया ने मीडिया को जारी बयान में बताया कि जोगेन्द्र चावला ने 5 अक्टूबर को दशहरा मनाने के लिए आवेदन किया और 6 अक्टूबर को उन्हें प्रशासन ने परमीशन दे दी। उन्होंने इसका भी आरोप केन्द्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर और मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा पर लगाया। इस पर फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन के प्रधान जोगेन्द्र चावला का कहना है कि राजेश भाटिया का लगाया गया यह आरोप बिल्कुल गलत है। उन्हें भी परमीशन लेने में 17 दिन का समय लगा है। उन्होंने प्रशासन में 20 सितंबर को दशहरा मनाने के लिए आवेदन किया था और उपायुक्त ने 6 अक्टूबर को उन्हें दशहरा मनाने का परमीशन लैटर दिया है।
क्या कहता है बुद्धिजीवि वर्ग
एनआईटी दशहरा पर्व चर्चाओं का विषय है। सभी इसमें अपने अपने मत दे रहे हैं। कोई इसे राजनीतिक स्टंट कह रहा है, तो कोई इसे दो पक्षों का विवाद बता रहा है, तो कोई इसे आम लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ भी बता रहा है। खैर मत कोई भी हो लेकिन बुद्धिजीवि वर्ग में चर्चा का विषय इस समय यह है कि जनता को बरगलाने की कोशिश कौन कर रहा था। अर्थात जनता से झूठ कौन बोल रहा है। कौन सच्चा है और कौन झूठा। इस पर कुछ बुद्धिजीवियों से चर्चा की जिसमें उन्होंने कई तर्क रखे।
– यदि उद्योग मंत्री विपुल गोयल श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर कमेटी के रावण दहन कार्यक्रम में अति विशिष्टि अतिथि नहीं थे तो राजेश भाटिया ने उनका नाम अति विशिष्टि अतिथि के रूप में क्यों लिखा। क्या यह सब क्षेत्र की जनता को बेवकूफ बनाने का तरीका था।
– राजेश भाटिया उद्योग मंत्री विपुल गोयल को रावण दहन कार्यक्रम में अति विशिष्टि अतिथि बता रहे हैं लेकिन उद्योग मंत्री विपुल गोयल इससे इंकार कर रहे हैं। जबकि यह कैसे संभव है क्योंकि पूरा शहर राजेश भाटिया ने फ्लैक्स व बोर्डों से पाट रखा है, क्या उसके बावजूद उद्योग मंत्री को इसकी कोई जानकारी नहीं और अगर उन्हें जानकारी थी तो उन्होंने इसका खंडन क्यों नहीं किया।
– बुद्धिजीवियों का तर्क है कि ऐसा कैसे संभव है कि पूरा शहर जब विपुल गोयल और राजेश भाटिया के बोर्डों से पटा पड़ा था तो उद्योग मंत्री विपुल गोयल को इसकी भनक तक नहीं थी। क्या राजेश भाटिया यह सच बोल रहे हैं कि उद्योग मंत्री विपुल गोयल की प्रशासन ने नहीं सुनी। अगर ऐसा है तो फिर यह संभव है कि अब उद्योग मंत्री विपुल गोयल अपनी किरकिरी के डर से इस बात से इंकार कर रहे हैं कि वह कार्यक्रम में अति विशिष्ट अतिथि नहीं थे।
– जोगेन्द्र चावला जो अपने आवेदन और परमीशन लेटर दिखा रहे हैं तो उसके हिसाब से 17 दिन लगे तो क्या फिर राजेश भाटिया बिना तथ्य के आधार पर जोगेन्द्र चावला पर आरोप लगा रहे हैं।
खैर वजह जो भी है लेकिन एनआईटी दशहरा पर्व पिछले वर्ष से भी अधिक इस बार चर्चा का विषय बना है। अब इसमें कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ। यह तो वहीं सब बता सकते हैं।