खेल मैदान की जमीन पर कम्यूनिटी सेंटर बना कर रहे मोटी कमाई
Shikha Raghav, Faridabad; 17th February : एनआईटी-2 में बच्चों के खेल मैदान के लिए आंबटित हुई जमीन अब कमाई का अड्डा बन चुकी है। दरअसल एनआईटी 2 में रिहबिटेशन डिपार्टमेंट द्वारा करीब 2750 वर्ग गज जमीन बच्चों के खेल मैदान के लिए आबंटित की गई थी लेकिन एक संस्था के पदाधिकारियों ने अपना निजी स्वार्थ हल करने के उद्देश्य से उस जमीन पर खेल मैदान बनाने की बजाए वहां एक कम्यूनिटी सेंटर बना दिया। ताकि उस कम्यूनिटी सेंटर में शादी व कार्यक्रम आयोजित कर उसे मोटी आय का साधन बनाया जा सके।
एनआईटी-2 स्थित महावीर कम्यूनिटी सेंटर के नाम से जानी जाने वाली धर्मशाला असल में बच्चों के खेलने का मैदान था जिसे संस्था के पदाधिकारियों ने बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के खेल के मैदान को अवैध रूप से बने कम्यूनिटी सेंटर में बदल दिया ताकि प्रतिवर्ष लाखों रुपए की कमाई हो सके। एक आरटीआई से मिले जबाव के अनुसार एनएच-2द्म ब्लॉक स्थित सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर कमेटी को वर्ष 1995 में 5747 वर्ग गज अलॉट की गई जिसमें 3003 वर्ग गज मंदिर तथा स्कूल बनाने के लिए व शेष 2744 वर्ग गज जगह स्कूली बच्चों के खेल मैदान के लिए आबंटित की गई लेकिन मंदिर की कमेटी ने 3003 गज पर मंदिर व स्कूल तो बना दिया लेकिन यहां अपना निजी स्वार्थ हल करते हुए खेल के मैदान की 2744 वर्ग गज जमीन पर खेल मैदान की जगह अवैध कम्यूनिटी सेंटर बना दिया गया है ताकि प्रतिवर्ष उन्हें बैठे बिठाए लाखों रुपए की कमाई हो सके।
इतना ही नहीं मंदिर कमेटी आंबटित जमीन से भी संतुष्ट नहीं हुई तो उन्होंने खेल मैदान के पास खाली पड़ी सरकारी जमीन का भी कुछ हिस्सा कब्जे में ले लिया और वहां कम्यूनिटी सेंटर की बाउंड्रीवॉल की दी। इस संदर्भ में स्थानीय निवासी नीरज नरूला ने वर्ष 2015 में तहसीलदार कार्यालय पर आरटीआई डालकर जानकारी हासिल की। फरवरी 2015 में आरटीआई के जबाव में तहसीलदार ने कहा कि यह जमीन रिहबिटेशन डिपार्टमेंट ने बच्चों के खेल मैदान के लिए अलॉट की गई है। जबाव में यह भी कहा गया है कि यदि कोई अलॉट संबंधी नियमों का उल्लंघन करता है तो वह जमीन उससे वापिस ले ली जाती है। जबकि यहां तो साफ साफ नियमों की धज्जियां उड़ा दी गई हैं। शिकायतकर्ता नीजर नरूला का कहना है कि यदि उनकी शिकायत पर स्थानीय प्रशासन ने जल्द ही सुनवाई नहीं की तो वह इसके लिए उच्च न्यायालय की शरण लेंगे।
स्थानीय निवासी नीरज नरूला ने इस बाबत सीएम विंडो, सचिवालय चंडीगढ़, उपायुक्त, संयुक्त-आयुक्त नगर निगम को लिखित शिकायत दी परन्तु आज तक स्थिति ढाक के तीन पात वाली बनी हुई है। प्रशासन द्वारा न तो संस्था के पदाधिकारियों को कोई नोटिस जारी किया है और न ही उन पर कोई कार्रवाई की गई है। जबकि वर्ष 2006 में ष्टङ्खक्क 13508 एक याचिका के संदर्भ में माननीय उच्च न्यायालय ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने ऐसी किसी भी गतिविधि को तुरंत प्रभाव से खाली करने का आदेश पारित कर रखा है। अब सवाल यह उठता है कि जो जमीन बच्चों के खेलने के लिए आबंटित की गई थी, उसे किस आधार पर कम्यूनिटी सेंटर में तब्दील किया गया और उस वक्त से अब तक प्रशासन को इतनी बड़ी इमारत क्यों नजर नहीं आई।
इस संदर्भ में संस्था के प्रधान सुशील मेहंदीरत्ता से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि कम्यूनिटी सेंटर में प्रतिवर्ष 100 से अधिक शादियों का आयोजन होता है और प्रत्येक शादी कार्यक्रम को करने की एवज में आयोजक से 11 हजार रुपए की राशि ली जाती है। सुशील महेंदीरत्ता से जब खेल के मैदान पर कम्यूनिटी सेंटर बनाने की बात पूछी गई तो वह बात को टालते नजर आए और कोई भी सटीक जबाव नहीं दे पाए।
अब यदि कम्यूनिटी सेंटर की कमाई की बात करें तो कम्यूनिटी सेंटर प्रतिवर्ष कम से कम 11 लाख रुपए की कमाई का साधन बना हुआ है और यदि पिछले 15 सालों की बात करें (जब से यह कम्यूनिटी सेंटर बना है) तो यह कमाई करोड़ो में पहुंच चुकी है।