Star Khabre, Faridabad; 05th October : इण्डियन नेशनल लोकदल जिला फरीदाबाद ईकाई ने आज बिजली की दरो में लगातार हो रही बढ़ोतरी को कम करने को लेकर सैक्टर 12 स्थित लघु सचिवालय के समक्ष धरना दिया एवं महामहिम राज्यपाल के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन देने वालों में जिला प्रभारी एंव पूर्व विधायक डा. राम कुमार सैनी, राष्ट्रीय महासचिव देवेन्द्र चौहान, प्रदेश उपप्रधान एवं पूर्व विधायक राजेन्द्र बीसला, पूर्व जिलाध्यक्ष शहरी आर.के. चिलाना, वरिष्ठ उपप्रधान जोध सिंह वालिया, के.जी.गोस्वामी, प्रधान महासचिव पवन रावत, जिला प्रचार सचिव प्रेम सिंह धनखड, महिला अध्यक्ष जगजीत कौर, युवा अध्यक्ष अरविंद भारद्वाज, हल्का अध्यक्ष रामजीत भाटी, अरविंद सरदाना, अमर नरवत, रविन्द्र पराशर, संतोष शर्मा, शशि बाला तेवतिया, सुमेश चंदीला, तेजपाल डागर, रिछपाल लाम्बा, अजय भडाना, धारा सिंह, विनोद भाटी, राजाराम ठाकुर, सुरेश मोर, मेजर मेहर सिंह, धर्मपाल दलाल, श्रीमती चित्रा सहरावत, हर्ष भाटिया, सावित्री, सचिन कौशिक, सुभाष पुण्डीर, देवेन्द्र तेवतिया, धर्मवीर तेवतिया, अजीत भाटी, मुखदेव प्रसाद, ईश्वर सिंह, प्रदीप चोैधरी, श्याम लाल शर्मा, जयपाल चौधरी, देवेन्द्र मान सहित सैकडों इनेलो पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे।
इस अवसर पर ज्ञापन की बावत जानकारी देते हुए इनेलो पदाधिकारियों ने बताया कि इनेलो पार्टी सरकार का ध्यान प्रदेश में पिछले एक वर्ष से हो रही बिजली की दरों में बेहतहाशा वृद्धि से आम जनता की बढ़ती परेशानियों की और दिलाना चाहती है। बिजली वितरण कम्पनियों ने न केवल अपनी नकारागुजारियों को छुपाते हुए बिजली की दरों में वृद्धि की है बल्कि घरेलू स्तर पर प्रति माह बिजली की 800 यूनिट की उच्चतम खपत की सीमा को घटा कर 500 यूनिट कर दिया है और बिजली की 500 यूनिट से अधिक खपत पर 6.75 रूपये प्रति यूनिट बिजली की दर तथा 1.69 रूपये फ्यूल सचार्ज की दरें निर्धारित की है। बिजली शुल्क तथा यूनिट लगभग 8.65 रूपये उपभौक्ताओं को अदा करने होंगे। जबकि उपभौक्ताओं को उक्त बिजली की खपत के लिए पहले लगभग 5.50 रूपये अदा करने होते थे। जिससे स्पष्ट होता है कि वर्तमान सरकार के समय में बिजली की दरों में लगभग 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
इनेलो पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने महामहिम से मांग की है कि बिजली दरों में कटौती की जाए। उन्होंने बताया कि वितरण कम्पनियों द्वारा बिजली तथा फ्यूल सर्चाज की दरों में वृद्धि का कोई औचित्य नहीं है। सच्चाई यह है कि पिछले 10 वर्षो में प्रदेश में बिजली की मांग को ध्यान में न रखते हुए बिजली वितरण कम्पनियों ने प्राईवेट बिजली उत्पादकों के साथ बिजली खरीद के समझौते किये हैं जिसके कारण प्रदेश की बिजली वितरण कम्पनियों को प्राईवेट बिजली उत्पादकों से बिजली न खरीदने की अवस्था में प्रति वर्ष 200 से 300 करोड़ रूपये का नुकसान होता है। बिजली की चोरी को न रोक पाने के कारण उपभौक्ताओं को बिजली की ज्यादा दरें देनी पडती है जबकि सरकार का दायित्व है कि बिजली चोरी को रोके और अगर रोक न सके तो उस घाटे की भरपाई सरकार स्वयं करें। उन्होंने कहा कि आमतपैर पर फ्यूल सर्चाज तब बढ़ाया जाता है जब इंधन की कीमतो में वृद्धि होती है। केन्द्र सरकार के अनुसार पिछले एक वर्ष में डीजल, पैट्रोल, कोयला तथा गैस आदि की कीमतों में कमी हुई है जिसको ध्यान में रखते हुए बिजली वितरण कम्पनियों को फ्यूल सर्चाज की दरों में कमी करनी चाहिए थी परंतु बिजली चोरी को रोकने तथा अपने प्रबंधन को सुधारने की बजाए आम जनता पर फ्यूल सर्चाज का बोझ डाल दिया।