Star Khabre, Faridabad; 27th September : श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर में सन् 2008 में जोगेन्द्र चावला सर्वसम्मति से प्रधान बने। इसके बाद किसी कारण वश उनका विवाद जयपाल शर्मा से हुआ जिसपर जयपाल शर्मा ने कोर्ट में केस डाल दिया। कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए जोगेन्द्र चावला को Restrain कर दिया। जोगेन्द्र चावला को Restrain करने के बाद जयपाल शर्मा मंदिर के प्रधान बन गए। इसी बीच एक व्यक्ति ने लोकअदालत में एक याचिका दायर की जिसमें जोगेन्द्र चावला से संस्था के सदस्यों के बारे में जानकारी मांगी गई। जोगेन्द्र चावला ने लोकअदालत में डाली गई याचिका का जबाव दिया गया जिसमें उन्होंने संस्था के सदस्यों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि संस्था के 175 सदस्य है। जोगेन्द्र चावला के जबाव से याचिकाकर्ता संतुष्ट हो गया। इसके बाद जयपाल शर्मा अौर जोगेंदर ने लोवर कोर्ट से सेशन कोर्ट में अपील कीं कि संस्था में कितने सदस्य है और कौन प्रधान है। इस बार दोनों अपील जोगेन्द्र के विरूद्ध चली गई। फिर जोगेन्द्र ने 2011 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ में 175 सदस्यों वाले मामले में गुहार लगाई जिसमें हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के आदेशों को रद्द करते हुए आदेश दिया कि सेशन कोर्ट दोबारा सुनवाई करे। वहीं दूसरी तरफ प्रधानी वाले मामले में भी कोर्ट ने यही आदेश दे दिए। इसी बीच राजेश भाटिया जोकि संस्था का प्राथमिक सदस्य भी नहीं है। उसने मंदिर संस्था में हस्तक्षेप शुरू कर दिया। इस पर 27-04-2013 को जोगेन्द्र चावला ने राजेश भाटिया तथा अन्य पर रोक लगाने के लिए जो केस डाला था उसमें निचली अदालत ने राजेश भाटिया तथा उसके साथियों पर रोक लगाते हुए यह आदेश दिया कि राजेश व उसके साथी मंदिर में जबरदस्ती कोई गतिविधि जैसे बैठक, कार्यक्रम, त्योहार इत्यादि नहीं मना सकते क्योंकि वह अपनी सदस्यता भी कोर्ट में साबित नहीं कर पाया।
सूरजभान, जयपाल शर्मा के समय में संस्था के सैकेट्री थे। सूरजभान ने दोबारा हाईकोर्ट में मई 2013 माह में अपील दायर कर जोगेन्द्र को Restrain करा दिया। इसकी अगली तारीख पर हाईकोर्ट ने सारे आदेशों को रद्द कर यह आदेश दिया कि दोनों पार्टी जयपाल व जोगेन्द्र दोबारा निचली कोर्ट में पेश हो जिसपर पुन: कौन प्रधान है, इसकी सुनवाई हो। 13-12-2013 को जयपाल शर्मा ने सभी विवाद खत्म करते हुए सारे केस वापिस लेने का निर्णय लिया जिसकी भनक राजेश भाटिया को लगी। इस पर राजेश भाटिया ने कोर्ट में पार्टी बनने की अपील की तो कोर्ट ने उसे अपना पक्ष रखने को कहा। 13-12-2013 को राजेश ने अपना पक्ष रखा परन्तु कोर्ट ने उसकी सारी बातों को खारिज कर राजेश भाटिया को कोई भी राहत नहीं दी। इसके बाद आज तक राजेश भाटिया के विरूद्ध स्टे कायम है तथा संस्था के बैंक खाते भी सील हो गए हैं। मुख्य दोनों केस अंत में जोगेन्द्र चावला के पक्ष में गए हैं लेकिन राजेश भाटिया यह मानने को तैयार नहीं है। मुख्यता दस्तावेज यह कहते हैं कि इस संस्था के 175 सदस्य है जो लिस्ट हाईकोर्ट से मान्य है, उसमें राजेश भाटिया सदस्य भी नहीं है तथा दूसरी तफ कोर्ट ने इस पर रोक लगा रखी है।
क्यों नहीं मिली राजेश को दशहरा मनाने की परमीशन
जोगेन्द्र चावला ने बताया कि राजेश भाटिया कोर्ट के आदेशों को भी न मानते हुए जबरन लेटरहैड फर्जी छपवाकर, मंदिर संस्था के नाम पर पर्चीयां छपवाकर, दशहरा मनाने के नाम पर हर बार पैसा इक्ठ्ठा करता है। इसलिए इस बार पहले ही उन्होंने डीसी व अन्य आला अधिकारियों को सूचित कर अपील की कि इस सिद्धपीठ के नाम पर राजेश भाटिया जिस पर अदालत ने रोक लगा रखी है। इसे दशहरा मनाने की अनुमति न दी जाए। जोगेन्द्र चावला ने कहा कि पहले भी इसी व्यक्ति ने अन्य लोगों के रावण में आग लगा दशहरा पर्व खराब किया है जोकि कानूनन सही नहीं है। उन्होंने बताया कि हाल ही में उन्होंने राजेश भाटिया के खिलाफ कोर्ट में अदालत की अवमानना का केस डाला है जिसमें अदालत ने नोटिस जारी कर अगली तारीख 11-11-2015 दी है। जोगेन्द्र चावला ने शहरवासियों से अपील करते हुए कहा कि किसी अफवाह पर ध्यान न दे। उन्होंने कहा कि दशहरा पर्व को लेकर चाहे कोई भी कितनी भी राजनीति क्यों न करें लेकिन दशहरा पर्व हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बडी धूमधाम से मनाया जाएगा।