Star Khabre, Faridabad; 28th October : पंजाब एंड हरियाणा कोर्ट ने हरियाणा सरकार को किसानों की 50 से अधिक याचिकाओं की सुनवाई करते हुए फैसला दिया है कि 2004-2009 के बीच जो हरियाणा के किसानों की जमीन जो अधिग्रहण की गई थी, जिन किसानों ने अपनी जमीन का मुआवजा नहीं उठाया और ना ही उन्होंने अधिग्रहित जमीन का कब्जा दिया, उन जमीनों को सरकार किसानों को वापस लारैटा। यह पैसला नहरपार ग्रेटर फरीदाबाद के किसानों के लिए एक जीवन दान से कम नहीं है। किसान संघर्ष समिति ग्रेटर फरीदाबाद के अध्यक्ष शिवदत्त वशिष्ठ ने कहा इस पैसले से अब सेक्टर-75 व 80 के पांच गांवों के किसानों को अपनी जमीन सरकार से मिलने की पूरी आश नजर आई है।
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि 2004-2009 के अंतर्गत आने वाली ऐसी सारी अधिग्रहित जमीनों पर लागू होगा। जिन किसानों ने जमीनों का मुआवजा नहीं उठाया है और ना ही अपनी जमीन का कब्जा दिया गया है। ऐसी सारी जमीनों को किसानों को वापस दी जाए। नहरपार के पांच गांव बड़ोली, प्रहलादपुर, मिर्जापुर, सीही और फज्जुपुर की जमीन पर सेक्टर-75 और 80 का 638 एकड़ जमीन का नोटिफिकेशन सेक्शन चार दिनांक 1 मई 2006 को किया गया था। और सेक्शन छह दिनांक 30 अप्रैल 2007 को और लगभग 342 एकड़ जमीन का अवार्ड दिनांक 24 अप्रैल 2006 को मात्र 16 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से सुनाया गया। पिछली हुडा सरकार ने अवार्ड के बाद भी मोटे मुनाफे पर लगभग 296 एकड़ जमीन प्राइवेट बिल्डरों को छोड़ दी गई। अब हाईकोर्ट के फैसले से नहरपार के किसानों की जमीन का अधिग्रहण 2004-2009 के बीच ही हुआ है। मैजोरिटी के हिसाब से पांच गांवों के 1743 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया, जिसमें से मात्र 227 किसानों ने ही मुआवजा उठाया है। इसलिए नए एक्ट 2013 के (24/2) के अनुसार मैजोरिटी किसानों के पास है। इस नए फैसले को नहरपार के सभी किसानों ने माननीय हाईकोर्ट के फैसले का ह्दय की गहराईयों से स्वागत किया।