Star Khabre, Haryana; 18th January : महिला अकाउंटेंट ने इच्छा मृत्यु की मांग की है। पत्र लिखकर उसने कहा कि इंसाफ चाहिए, नहीं दे सकते तो मरने की इजाजत दे दो, जीना नहीं चाहती। मामला हरियाणा के कुरुक्षेत्र में सामने आया। मंजू शर्मा पंचायत विभाग के अंतर्गत करुक्षेत्र जिले में अकाउंटेंट के पद पर आसीन है। वह तीन साल आठ महीने बाद बहाल हुई थी और अब उन्हें फिर से बिना कोई कारण बताए सस्पेंड कर दिया है। गबन के आरोप में फंसी इस महिला कर्मचारी ने अब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र भेजकर न्याय की मांग की है।
मंजू का कहना है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिल पाता, तो उन्हें इच्छा मृत्यु की इजाजत दी जाए। महिला अफसर के अनुसार झूठे आरोपों की प्रताड़ना झेलकर वह अब टूट चुकी है। बता दें कि महिला का केस कुरुक्षेत्र की स्थानीय कोर्ट में भी विचाराधीन है।
यह है मामला
मंजू शर्मा पंचायत विकास एवं पंचायत विभाग हरियाणा के अंतर्गत कुरुक्षेत्र में अकाउंटेंट के पद पर आसीन थी। वर्ष 2014 में मंजू पर ग्रामीण चौकीदारों का वेतन वितरण करने के दौरान गबन करने का आरोप लगाया गया।
महिला कर्मचारी पर आरोप था कि उन्होंने चौकीदारों के वेतन की राशि अपने खाते में डलवाई और वहां से निकाल ली। जबकि ये वेतन चौकीदारों को चैक के माध्यम से वितरित किया जाना था। इसी के चलते मंजू शर्मा समेत चार अन्य कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करवाया गया।
मंजू शर्मा को 13 जनवरी 2015 को निलंबित भी कर दिया गया था। मामला कुरुक्षेत्र कोर्ट में विचाराधीन है। मगर ‘केस पेंडिंग’ की टिप्पणी के साथ विभाग ने महिला अफसर को 9 अगस्त 2019 को बहाली दे दी। मगर अब अचानक विभाग ने मंजू को फिर से सस्पेंड कर दिया है।
भ्रष्टाचार की कड़ी में फिट नहीं बैठी, इसलिए मुझे निशाना बनाया
इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगने वाले निलंबित मंजू शर्मा ने बताया कि उसे बिना वजह निशाना नहीं बनाया गया, बल्कि भ्रष्टाचार की कड़ी में वह फिट नहीं बैठ रही थी। शाहबाद में एक पीरबाबा के चढ़ावे को लेकर कुछ अफसर व कर्मचारी निरंतर उस पर वित्तीय गड़बड़ी करने का दबाव बनाते थे। बतौर अकाउंटेंट उसकी ड्यूटी उन दिनों हर सप्ताह अन्य स्टाफ के साथ इस चढ़ावे की काउंटिंग करवाने में लगी थी। चढ़ावा भी हर सप्ताह करीब चार लाख से अधिक का होता था।
संबंधित पीर बाबा उस वक्त पंचायत विभाग के अधीनस्थ था, मगर अब वह हरियाणा वक्फ बोर्ड में ट्रांसफर हो गया है। मंजू ने बताया कि उन्होंने जब वित्तीय गड़बड़ी करने से साफ इंकार कर दिया, तो उसे चौकीदारों के वेतन के गबन में फंसा दिया गया। इसका ऑडिट भी विभाग ने अपने स्तर पर करवा दिया। मंजू के अनुसार, उनके खाते में वेतन का पैसा भी विभाग ने ही डलवाया और उसने सभी चौकीदारों को बांटा भी, जिसका रिसिविंग प्रूफ भी उसके पास हैं।
इतना ही नहीं आज तक एक भी चौकीदार ने वेतन न मिलने की शिकायत नहीं की है। लिहाजा उनकी कोर्ट में भी यही मांग है कि मामले का ऑडिट किसी स्वतंत्र एजेंसी से करवा लिया जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। साथ ही पूरी साजिश का पर्दाफाश भी हो जाएगा। महिला ने बताया कि उनके पति, बच्चे समेत पूरा परिवार सालों से प्रताड़ित हो रहा है और प्रशासनिक स्तर पर कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
इसलिए उन्होंने अब मुख्यमंत्री हरियाणा से गुहार लगाई है कि वे या तो उन्हें न्याय दिलवाएं या फिर इच्छा मृत्यु की अनुमति दें, क्योंकि वह अब बहुत ज्यादा मानसिक रूप से प्रताड़ित हो चुकी है।