StarKhabre,Haryana,29April: हरियाणा में जब भाजपा व जेजेपी का गठबंधन टूटा था और जेजेपी ने सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। तब सबसे ज्यादा आपत्ति कांग्रेस ने जताई थी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा (Deepender Singh Hooda) ने कई राजनीतिक मंचों से आरोप लगाया था कि जेजेपी ने सभी सीटों पर इसलिए चुनाव लड़ने की घोषणा की है। ताकि वह वोट काटू पार्टी बन सके और भाजपा (Haryana BJP) को इसका फायदा दिला सके।
जजपा ने पांच सीटों पर उतारे उम्मीदवार
हुड्डा और दीपेंद्र के इस आरोप में जाटों के वोट कटने की चिंता और दर्द छिपा था। जिसका कांग्रेस को नुकसान होना स्वाभाविक है। जननायक जनता पार्टी (JJP News) ने अभी तक जिन पांच लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए, उन्हें देखकर यही लग रहा है कि जेजेपी के रणनीतिकारों ने हुड्डा व दीपेंद्र के आरोपों को गंभीरता से लिया है।
पांच लोकसभा सीटों पर अभी भी नहीं किए उम्मीदवार घोषित
इसलिए उन्होंने अपने माथे से जाटों के वोट का आरोप मिटाने के लिए अभी तक बाकी बची पांच लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। जिन पांच लोकसभा सीटों पर जेजेपी ने अभी उम्मीदवार घोषित नहीं किए, उनमें सबसे बड़ी और चर्चित लोकसभा सीट रोहतक है। जहां से कांग्रेस (Haryana Congress) के राज्य़सभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव लड़ रहे हैं। साल 2019 में जेजेपी ने रोहतक से इनसो अध्यक्ष प्रदीप देसवाल को चुनाव लड़वाया था। देसवाल को करीब 21 हजार वोट मिले थे और दीपेंद्र सिंह हुड्डा की हार करीब सात हजार मतों से हुई थी।
गुरुग्राम और फरीदाबाद से ये हैं उम्मीदवार
जेजेपी तब रोहतक में दीपेंद्र सिंह हुड्डा की हार का बड़ा कारण बनी थी। यही वजह है कि भाजपा व जेजेपी का गठबंधन टूटने के बाद हुड्डा पिता पुत्रों ने जेजेपी नेताओं पर वोट काटने वाली पार्टी के रूप में आरोप मढ़े। जेजेपी ने अभी तक सिरसा में पूर्व विधायक रमेश खटक (दलित), हिसार में नैना सिंह चौटाला (जाट), भिवानी में पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह (अहीर), गुरुग्राम में राहुल यादव फाजिलपुरिया (अहीर) और फरीदाबाद में नलिन हुड्डा (जाट) को टिकट दिए हैं। रोहतक के अलावा करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला और सोनीपत लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर अभी तक जेजेपी अपने उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई है। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। जेजेपी सोनीपत व रोहतक समेत बाकी पांच लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित करने को लेकर असमंजस में है। सबसे बड़ा असमंजस करनाल लोकसभा सीट को लेकर भी है, जहां पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा व जेजेपी का गठबंधन टूटने के बाद पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला चंडीगढ़ में मनोहर लाल से मिलने उनसे आवास पर गए थे। तब वहां राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई थी।
गठबंधन टूटने के बाद इस तरह चली आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति
दोनों दलों का गठबंधन टूटने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान भी आया था कि जेजेपी से हमारी दुश्मनी नहीं है। सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बनी तो गठबंधन टूट गया। तब दुष्यंत चौटाला ने बयान दिया था कि भाजपा से हमने हिसार और भिवानी लोकसभा सीटें मांगी थी, लेकिन वह हमें रोहतक सीट देना चाहती थी। जिसके बाद दीपेंद्र हुड्डा ने दुष्यंत के इस बयान को अपने अंदाज में प्रचारित-प्रसारित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखकर लग रहा है कि दुष्यंत चौटाला जहां अपने माथे पर जाटों के वोट काटने का लेबल नहीं लगवाना चाहते, वहीं उनके इस कदम से यदि कहीं भाजपा की मदद हो सके तो वह भी भविष्य की राजनीति के लिहाज से उनके लिए फायदेमंद ही साबित होगा।
News Source: DainikJagran