Star Khabre, Haryana; 11th January : हरियाणा में 2022 तक 2500 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य पूरा होता नहीं दिखाई दे रहा। निवेशकों को पैसा डूबता नजर आ रहा है। 2019 की मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा योजना के तहत अभी प्रदेश में मात्र पचास से साठ मेगावाट उत्पादन ही हो पा रहा है। योजना के सरपट दौड़ने की राह में डिस्कॉम यानि उत्तर हरियाणा और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगमों की शंकाएं आड़े आ गई हैं। योजना की अनेक गाइडलाइन पर डिस्कॉम को ऐतराज है। जिससे योजना में 2000 करोड़ निवेश कर चुके निवेशकों को अपनी राशि डूबने का डर सताने लगा है।
डिस्कॉम के कड़े रुख से सरकार भी आगे नहीं बढ़ पा रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के संज्ञान में पूरा मामला है और वह इसे लेकर बीते दिसंबर महीने में दो बैठकें भी कर चुके हैं, बावजूद कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। ऊर्जा मंत्री रणजीत चौटाला पूरे मामले को सुलझाने में जुटे हैं, उन्हें उम्मीद है कि जल्दी सकारात्मक नतीजे आएंगे। लेकिन, डिस्कॉम को योजना लागू होने से खुद का नुकसान होता दिख रहा है, जिससे बात आगे नहीं बढ़ पा रही।
सौर ऊर्जा योजना के तहत 410 मेगावाट की फाइनल कनेक्टिविटी और 1000 मेगावाट से अधिक की सैद्घांतिक मंजूरी पा चुकी सोलर कंपनियों ने धरातल पर दो हजार करोड़ से अधिक का निवेश किया है। सरकार के आगे न बढ़ने पर उनके माथे पर चिंता की लकीरें हैं। निवेशकों को लग रहा है कि अगर 2018 की तरह सरकार ने एक बार फिर योजना रद की तो उनका करोड़ों रुपये का नुकसान हो जाएगा। जिससे किसानों को भी भारी आर्थिक चपत लगेगी। चूंकि, निवेशकों ने किसानों से ही जमीन खरीदी है या लीज पर ली है। जल्दी सरकार ने अगर कोई निर्णय नहीं लिया तो निवेशक हाईकोर्ट भी जा सकते हैं। इसे लेकर निवेशकों के बीच बैठकों का दौर जारी है।
योजना लागू करने पर आगे बढ़ रहे: रणजीत चौटाला
ऊर्जा मंत्री रणजीत चौटाला ने कहा कि योजना को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। जैसे ही अंतिम निर्णय होगा बताएंगे। योजना से जुड़े सभी पहलुओं और स्टेक होल्डर्स की शंकाओं पर विचार-विमर्श चल रहा है।
डिस्कॉम की ये हैं शंकाएं
. सौर ऊर्जा उत्पादन सूर्य की रोशनी पर निर्भर है। निरंतर उत्पादन न होने से ग्रिड अस्थिर हो सकते हैं
. डिस्कॉम को सौर ऊर्जा उत्पादन से आर्थिक नुकसान होने का भी डर
. उद्योगों के अपनी बिजली उत्पन्न करने से बड़े उपभोक्ता खिसक सकते हैं
. डिस्कॉम को फिर से घाटे में जाने की भी चिंता
निवेशकों के सरकार से सवाल व अल्टीमेटम
. एसएलडी और चीफ इंजीनियर प्लानिंग ने जब सैद्घांतिक कनेक्टिविटी निकाली उससे पहले पूरी पड़ताल की गई, फिर अब सौर ऊर्जा उत्पादन से ग्रिड अस्थिर होने की शंका कैसे उत्पन्न हुई
. सरकार ने उद्योग नीति में भी निवेशकों के लिए निवेश करते समय कैप्टिव सौर ऊर्जा प्लांट लगाने का विकल्प दिया है, फिर उत्पादन से उसे वंचित कैसे किया जा सकता है
. जब उद्योगपतियों ने 2019 की सौर ऊर्जा नीति अनुसार निवेश कर दिया है तो सरकार उसे क्या शून्य मानती है
. 2018 में नीति लागू की फिर उसे बंद करते हुए मात्र 39 मेगावाट उत्पादन का ही क्लीयरेंस क्यों दिया
. किसानों से जमीन लीज पर ली जा चुकी है या खरीद ली है, एग्रीमेंट साइन हो चुके हैं, प्लांट चालू न होने पर एमएसएमई कहां से पैसा भरेगी
. सरकार के जल्दी निर्णय न लेने की स्थिति में निवेशक चुप बैठने के बजाए कोर्ट जाने को विवश होंगे