Shikha Raghav(Star Khabre), Delhi; 08th May : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजनाओं और सुधार नीतियों में से एक थी जीएसटी। जिसे पूरे देश में जून 2017 से लागू किया गया। यह व्यवस्था एक देश-एक कर के नाम से लागू की गई और इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्र के खजाने से हो रही टैक्स की चोरी पर लगाम लगाना था। लेकिन कर चोरों ने इसका भी नया तरीका निकाल लिया और धड़ल्ले से अरबों रुपए का टैक्स घोटाला किया जा रहा है। दरअसल जीएसटी सरकार द्वारा सभी TEX को खत्म करके एक समान टैक्स लगाना था। जो कि शुरुआती दौर में अधिकतम 28% था। अलग-अलग वस्तुओं पर अलग-अलग जीएसटी दर वसूल की जाती थी। जिसे बाद में घटाकर 18% कर दिया गया। दरअसल यह गोरखधंधे वाले लोग केवल एनआईटी में ही नहीं फल फूल रहे बल्कि बल्लभगढ़, फरीदाबाद और लगभग पूरे देश में इसका धंधा जोरों पर है। पहले जब VAT हुआ करता तो बिल 5 से 7 प्रतिशत में मिल जाया करते थे। उस समय यह गोरखधंधा करने वाले लोग 2 से 5 वर्ष प्रतिशत का व्यवसाय करते थे लेकिन अब लॉटरी लग गई है।
कैसे होता है यह गोरखधंधा
गोरखधंधे को करने वाले लोग एक फर्म को जीएसटी में रजिस्टर्ड कराते हैं। कंपनी का GST नंबर लिया जाता है। और कंपनी का काउंट खोला जाता है और केवल कागजों में बिल काटे जाते हैं और वह बिल दुकानदारों को 9% पर दे दिया जाता है। यानी सीधे-सीधे 9% उस दुकानदार को बच जाते हैं और बचे हुए 9% में से गोरखधंधा करने वाले लोग और इसमें काम पर लगाए गए लोग आपस में बांट लेते हैं। गोरखधंधा करने वाले लोग इस काम में गरीब तबके के आदमी का इस्तेमाल करते हैं। यह राशि लगभग करोड़ों रुपए में होती है और एक साल बाद कंपनी ढूंढे नहीं मिलती और इससे संबंधित लोग यानी जिनके नाम से खाता खुला है जो इस कंपनी के मालिक है उन्हें ढूंढना मुश्किल हो जाता है। इस तरह उस कंपनी द्वारा एक साल में काटे गए सभी बिलों का टैक्स यह गोरखधंधा करने वाले खा जाते हैं। पिछले लगभग 2 सालों की बात करें तो 2 साल में तीन लाख फर्जी कंपनियां बंद की गई। लेकिन सवाल यह उठता है कि हर साल जो नई फर्म रजिस्टर्ड होती है उसकी निगरानी कैसे की जाए। यह गोरखधंधा इतनी शातिर तरीके से करते हैं कि इसमें सम्मिलित लोगों का को यह एहसास भी नहीं होता कि वह कितने करोड़ों का देश का नुकसान कर रहे हैं और जीएसटी के नाम पर गोरखधंधा करने वाले लोग हजारों करोड़ रुपए का सालाना देश को नुकसान पहुंचाते हैं।
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