Star Khabre;Faridabad 4Th June:अपने दौर की लोकप्रिय अभिनेत्री नूतन की आज जयंती है। महज 54 साल की उम्र में इस दुनिया से विदा लेने वाली नूतन की फिल्मों और गीतों को आज भी देखा जाता है। रुपहले पर्दे पर अपनी सौम्य और दमदार अभिनय से अमिट छाप छोड़ने वाली नूतन का दौर ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों का था, लेकिन उन्होंने अपने अभिनय से बड़े पर्दे पर गहरे और चटक रंग भरे। मराठी कला प्रेमी परिवार में हुआ था जन्म
टीवी पर नूतन की फ़िल्में जब भी आती हैं तो सिनेमा के दीवाने उनकी अभिनय शैली, संवाद अदायगी और भाव भंगिमाओं के जादू में बंध जाते हैं। नूतन का जन्म मुंबई में ही 4 जून 1936 को एक मराठी कला प्रेमी परिवार में हुआ था। उनके पिता कुमारसेन समर्थ एक जाने-माने निर्देशक और कवि थे, जबकि उनकी मां शोभना समर्थ एक जानी-मानी अभिनेत्री थीं। ज़ाहिर है परिवार में कला को लेकर उन्हें एक माहौल विरासत में मिला था। विदेश जाने से पहले वो कुछ फ़िल्में कर चुकी थीं जो कामयाब नहीं हो पायीं। गौरतलब है कि महज 14 साल की उम्र में उन्होंने अपनी मां के निर्देशन में बनी फ़िल्म ‘हमारी बेटी’से डेब्यू किया थाl
नेवी के लेफ्टिनेंट कमांडर रजनीश बहल से की थी शादी
बिमल रॉय की ‘बंदिनी’ नूतन के कैरियर में एक मील की पत्थर की तरह है। इसके अलावा ‘छलिया’, ‘देवी’, ‘सरस्वतीचंद्र’, ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’, ‘सौदागर’ जैसी 70 से ज्यादा फ़िल्में करने वाली नूतन अपार कामयाबी पाने के बावजूद सादगी की एक मिसाल रही हैं। नूतन ने अपने कैरियर के टॉप पर पहुंचने के बाद साल 1959 में नेवी के लेफ्टिनेंट कमांडर रजनीश बहल से शादी कर ली थी। उनके बेटे मोहनीश बहल भी लंबे समय से एक अभिनेता के रूप में सक्रिय हैं।
नूतन पर फिल्माए गाने आज भी यादगार
नूतन की फ़िल्मों के अलावा जो गाने उन पर फ़िल्माए गए, वे भी यादगार हैं और आज तक गुनगुनाये जाते हैं। 'छोड़ दो आंचल जमाना क्या कहेगा', सावन का महीना', 'चंदन सा बदन', फूल तुम्हें भेजा है खत में' ये सब गीत सदाबहार सुपरहिट्स में गिने जाते हैं। साल 1986 में आई दिलीप कुमार के साथ उनकी फ़िल्म 'कर्मा' भी बॉलीवुड की एक यादगार फ़िल्मों में से मानी जाती है।
बोल्ड सीन देने से कभी नहीं कतराईं
बहुत कम लोग जानते हैं कि नूतन को शिकार का भी बेहद शौक था। उन्हें जब भी मौका मिलता वो अपने इस शौक को पूरा करतीं। पर्दे पर ज़्यादातर साड़ी में दिखने वाली नूतन स्क्रिप्ट की डीमांड पर छोटे कपड़े पहनने या बोल्ड सीन देने से कभी नहीं झिझकीं। वो एक संपूर्ण अदाकारा थीं। बहरहाल, सब कुछ नूतन के मन मुताबिक ही चल रहा था कि साल 1990 में उनको ब्रेस्ट कैंसर ने आ घेरा। इसके कारण 21 फरवरी 1991 को अस्पताल में इलाज के दौरान उनका देहांत हो गया।