Star Khabre, Faridabad; 14th September : आयुष्मान खुराना 35 साल के हो गए हैं। 14 सितंबर 1984 को उनका जन्म चंडीगढ़ में हुआ था। 'अंधाधुन' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके आयुष्मान आज बॉलीवुड के सबसे सफल एक्टर्स में से एक हैं। हर साल उनकी दो से तीन फिल्में आ रही हैं और लगभग सभी बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई भी कर रही हैं। लेकिन एक वक्त था, जब लोग उन्हें मुंह पर बोल देते थे कि वे लीड रोल के काबिल नहीं हैं। बर्थडे पर खुराना ने अपने लाइफ के ऐसे ही अनुभव शेयर किए। आयुष्मान से बातचीत के अंश
फिल्मों में एंट्री के लिए बहुत ऑडिशन दिए
फिल्मों में एंट्री के लिए मैं बहुत ऑडिशन दिया करता था। जब 2006 में पहली बार मुम्बई आया तो यहां उस समय होने वाले ऑडिशंस में एक रूम में सिर्फ एक ही आदमी का ऑडिशन लिया जाता था। फिर 2007 के अंत में जब मैं वापस आया तो मैंने देखा कि एक रूम में ही बहुत सारे लोगों का ऑडिशन लिया जा रहा है। सभी को एक दूसरे के सामने ही ऑडिशन देना पड़ता था। मैंने सोचा कि यार एक साल में इतना चेंज कैसे आ गया।
मैंने कास्टिंग डायरेक्टर से कहा कि मैं इन सभी के सामने ऑडिशन नहीं दूंगा। इस पर उन्होंने कहा क्या तुम खुद को स्टार समझने लगे हो। मैंने उनसे कहा- स्टार समझने वाली कोई बात नहीं है। मैं खुद में लगातार सुधार करने में यकीन रखता हूं और मेरी कोई कॉपी कर लेगा तो उसमें मेरा ही नुकसान होगा। मैं सबके सामने ऑडिशन नहीं देना चाहता। ऐसा करो सबसे आखिर में मेरा ऑडिशन ले लो।
इतना सुनकर उन्होंने मुझे सीधा निकाल ही दिया। उन्होंने कहा कि यहां ऐसा नहीं चलता है कि तुम अपनी मर्जी से ऑडिशन का नंबर डिसाइड करो। अभी नंबर आया है तो अभी ऑडिशन करना पड़ेगा। इस तरह मैं उस ऑडिशन का हिस्सा ही नहीं रहा। इस वाकिये को कोई मेरा अहंकार न समझे। मैं बिल्कुल अहंकारी नहीं हूं। लेकिन उस वक्त यह करना जरूरी था।
लोग कहते थे तुम लीड रोल के काबिल नहीं
बहुत सी चीजें आपको जिंदगी में बेहतर करने के लिए मोटिवेट करती हैं। ऐसे बहुत सारे लोग थे जो मुझे आकर बोलते थे कि तुम लीड रोल के लिए काबिल नहीं हो। वे लोग सीधा मेरे मुंह पर बोलते थे, लेकिन मैं कभी इससे हताश नहीं होता था। बल्कि मैं इससे और भी मोटिवेट हो जाता था कि जिंदगी में जरूर कुछ कर दिखाना है। मुझे अपने आप पर और अपनी काबिलियत पर यकीन था कि मैं लीड रोल कर पाऊंगा। अगर यह आत्मविश्वास नहीं होता तो शायद मैं मुंबई एक्टर बनने के लिए आता ही नहीं, जिंदगी में कुछ और कर लेता। सबसे यादगार बर्थडे
2011 वाला बर्थडे, जब मैं विक्की डोनर की तैयारी में जुटा हुआ था। मेरा भाई अपारशक्ति जो तब दिल्ली में रहता था और ताहिरा ने मिलकर मुझे सरप्राइज देने का प्लान किया। मेरे भाई ने दिल्ली और चंडीगढ़ से मेरे दोस्तों को बुलाया। बाकायदा रेड कार्पेट थीम रखी गई। आधी रात को ब्रास बैंड वालों ने मेरे लिए घर के सामने बीच सड़क पर हैप्पी बर्थडे प्ले किया। वह मेरा सबसे यादगार बर्थडे था। यादगार बर्थडे गिफ्ट
सच कहूं तो मैं गिफ्ट पर्सन हूं ही नहीं, फिर भी हर कोई मुझे बर्थडे पर गिफ्ट दे ही देता है। कोई मुझे किताबें और पेन गिफ्ट करे तो वह मेरा सबसे यादगार गिफ्ट बन जाता है। बचपन में जरूर गिफ्ट का इंतजार रहता था। मॉम, डैड भी हर हाल में गिफ्ट दिया ही करते थे। वह इसलिए कि गिफ्ट न मिलने पर मैं दोस्तों के साथ बर्थडे पार्टी पर पूरे घर का सत्यानाश कर देता था।
मुझे याद है कि अपनी 10वीं सालगिरह पर दोस्तों के साथ मिलकर ऐसा हुड़दंग मचाया था कि उसके बाद से होम पार्टीज बंद ही कर दी गईं। अब बर्थडे अपनी फैमिली और दोस्तों के साथ मनाना पसंद करता हूं। हमेशा लोगों से घिरा ही रहता हूं। ऐसे में बर्थडे जैसे मौके कम भीड़ में ही सेलिब्रेट करता हूं। परिवार और दोस्तों के साथ ही।