Star Khabre, Business; 17th January : कमजोर घरेलू मांग और अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के चलते साल 2019 में चीन की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर पिछले 29 सालों में सबसे कम रही। नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान विकास दर 6.1 फीसदी रही। जबकि साल 2018 में यह 6.6 फीसदी थी।
इस संदर्भ में नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स ने बताया कि यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का 1990 के बाद से सबसे खराब प्रदर्शन है।
गिरावट का जोखिम कम
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार समझौते के पहले चरण पर हस्ताक्षर के बाद विवाद बढ़ने के कारण गिरावट का जोखिम कम हुआ है, जो पिछले लगभग दो साल से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बना हुआ था।
दोनों देशों के बीच टकराव की संभावनाएं: मूडीज
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस क्रेडिट स्ट्रैटजी के प्रबंध निदेशक माइकल टेलर ने कहा, ‘इस समझौते से दोनों के बीच द्विपक्षीय निर्यात बढ़ाने में मदद मिल सकती है और इससे कारोबारी विश्वास के साथ ही निवेश में सुधार होगा।’ उन्होंने एक बयान में कहा, ‘हालांकि समझौते के ब्योरे से पता चलता है कि दोनों देशों के बीच टकराव की खासी संभावनाएं बनी हुई हैं।’ टेलर ने कहा, मूडीज का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में चीन और अमेरिका के बीच तनाव में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।
दोनों देशों के बीच हुआ समझौता
18 महीने से चले आ रहे टकराव को खत्म करने के लिए दुनिया की दो बड़ी आर्थिक ताकतों ने बुधवार को एक आंशिक व्यापार समझौते पर दस्तखत किए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के वाइस प्रीमियर लियु ही ने व्हाइट हाउस में हुए कार्यक्रम में हिस्सा लिया। ट्रंप ने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच निष्पक्ष और परस्पर कारोबार के सुनहरे भविष्य की ओर एक कदम है।
समझौते पर संदेह बरकरार
इस समझौते के क्रम में चीन कुछ टैरिफ वापस लिए जाने के बदले में अगले दो साल में अमेरिकी सामान और सेवाओं की खरीद 200 अरब तक
बढ़ाएगा। इस पर हांगकांग में जेपी मॉर्गन एसेट मैनेजमेंट के वैश्विक बाजार रणनीतिकार हैन एंडरस्न ने कहा, ‘बाजार इस समझौते को जोखिम
बने रहने के संकेत के तौर पर ले रहा है, लेकिन हमें 2020 में विशेषकर अमेरिका-चीन व्यापार से जुड़ी खबरों को लेकर सतर्क रहना चाहिए।’ व्हाइट हाउस ने कहा कि इस समझौते की मुख्य बात चीन का अमेरिकी कृषि उत्पादों और अन्य सेवाओं व सामान का आयात दो साल में 200 अरब डॉलर तक बढ़ाना है, जो 2017 की 186 अरब डॉलर की बेसलाइन से ज्यादा है।