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पुलिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल, कार्रवाई के लिए आदेश का इंतजार सही नहीं

February 26, 2020 01:20 PM

Star Khabre, National; 26th February : दिल्ली में हुई हिंसा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली पूर्व सीआईसी वजाहत हबीबुल्ला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में हिंसा की घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण बताया, लेकिन उससे संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि वह हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर विचार करके शाहीन बाग प्रदर्शनों के संबंध में दायर की गई अपीलों के दायरे में विस्तार नहीं करेगी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंसा के संबंध में याचिकाओं पर सुनवाई की है। इसके बाद न्यायालय ने दिल्ली हिंसा से संबंधित याचिकाओं का निस्तारण करते हुए कहा कि हाईकोर्ट इस मामले पर विचार करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माहौल शांतिपूर्ण रहे यह सुनिश्चित करना कानून लागू करने वाले प्रशासन का काम है।
सॉलिसिटर जनरल ने न्यायालय से दिल्ली हिंसा से संबंधित प्रतिकूल टिप्पणियां न करने का अनुरोध किया क्योंकि इससे पुलिस बल हतोत्साहित होगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रतिकूल संदर्भ में टिप्पणियां नहीं की गईं बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए की गईं कि कानून व्यवस्था बनी रहे।

दिल्ली पुलिस को अमेरिका-ब्रिटेन का उदाहरण

न्यायमूर्ति केएम जोसेफ ने कहा कि पुलिस ने पेशेवर रवैया नहीं अपनाया। कोर्ट ने अमेरिका तथा ब्रिटेन में पुलिस का उदाहरण

देते हुए कहा कि अगर कुछ गलत होता है कि पुलिस को कानून के अनुसार पेशेवर तरीके से काम करना होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर उकसाने वाले लोगों को पुलिस बच कर निकलने नहीं देती तो यह सब नहीं होता। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर कोई भड़काने वाले बयान देता है तो पुलिस को आदेशों का इंतजार नहीं करना होता बल्कि कानून के अनुसार कार्रवाई करनी होती है।

 
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